मध्यप्रदेशराज्य

सदस्यता अभियान में गड़बड़ाया भाजपा का गणित

भोपाल । मप्र में भाजपा ने सदस्यता अभियान के तहत मिशन 2028 को लक्ष्य बनाकर कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को टारगेट दिया है। इसके तहत भाजपा सदस्यता अभियान में हारी हुई सीटों पर सदस्यता बढ़ाने के साथ इन सीटों पर अपनी जमीन मजबूत कर रही है। कार्यकर्ताओं को टास्क दिया गया है कि खास तौर पर हारी हुई सीटों पर सदस्यों की संख्या बढ़ाएं। लेकिन हारी हुई सीटों में से आधी से अधिक पर पार्टी आधे सदस्य भी नहीं बना पाई है।
गौरतलब है कि भाजपा के सदस्यता अभियान का दूसरा चरण 15 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है। कई विधानसभा सीटों में भाजपा का अभियान पिछड़ता हुआ नजर आ रहा है। पहले चरण में सामने आए आंकड़ों के अनुसार भाजपा हारी हुई 38 विधानसभा सीटों में अभियान के लक्ष्य को 50 प्रतिशत भी पूरा नहीं कर पाई है। जिन हार विधानसभा सीटों पर सदस्यता अभियान में भाजपा पिछड़ी है उनमें केवलारी, कसरावद्, सेंधवा, मनावर, झाबुआ, कुक्षी, टिमरनी, तराना, भगवानपुर, गोहद, भांडेर, वारासिवनी, परसवाड़ा, राजपुर, लखनादौन, सुसनेर, गंधवानी, बैहर, थांदला, सैलाना, पुष्पराजगढ़, बालाघाट, बिछिया, पोहरी, अंबाह, पांढुर्णा, हरदा, बड़ामलहरा, अटेर, बड़वानी, खरगापुर, चुरहट, ग्वालियर ग्रामीण, भीकनगांव, महिदपुर, जोबट, डबरा व सरदारपुर शामिल हैं।
भाजपा ने 3 सितंबर से अपने संगठन पर्व की शुरूआत कर पहले सवा करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा था। एक अक्टूबर से अभियान का दूसरा चरण शुरू कर ये लक्ष्य बढ़ाकर दो करोड़ कर दिया है। इस टारगेट को पूरा करने के लिए सांसद, विधायकों प्रदेश भर के जनप्रतिनिधियों को अलग-अलग टारगेट सेट किया है। गौरतलब है कि सदस्यता अभियान का पहला चरण पूरा होने के बाद प्रदेश भाजपा मुख्यालय में समीक्षा बैठक बुलाई गई थी। जिसमें सीएम डॉ. मोहन यादव ने कार्यकर्ताओं से शस्त्र पूजन तक 1.50 करोड़ के लक्ष्य पूरा करने को कहा था। पार्टी के सूत्रों के मुताबिक अभी करीब पार्टी 25 लाख सदस्यों से दूर है। वहीं इसमें उन पदाधिकारियों के सामने चुनौती बढ़ गई है जो मंत्री, विधायक और सांसदों के लिए सदस्य बनाने में इतना समर्पित रहे कि खुद के लिए 100 सदस्य भी नहीं बना पाए। इस संदर्भ में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कहना है कि पार्टी का लक्ष्य अपने निर्धारित समय में पूरा होगा। अभी सदस्यता अभियान को पांच दिन बचा हुआ है। पार्टी ने अभियान को लेकर माइक्रो स्तर की प्लानिंग कर रखी है। प्रदेश में अब तक 1.25 करोड़ सदस्य बनाए जा चुके हैं।
महज चार साल पहले कांग्रेस छोडकऱ भाजपा में आए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी नई पार्टी के 40 साल पुराने दिग्गजों पर भारी साबित हुए हैं। भाजपा के नए-पुराने सांसद अभी तक सिंधिया के आधे भी नहीं पहुंच सके हैं। इक्का- दुक्का को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश सांसद पार्टी द्वारा दिए गए टारगेट को भी अब तक पूरा नहीं कर पाए हैं। पार्टी के दिग्गज अब हथकंडे अपना रहे हैं तो संगठन भी अब पार्टी से ज्यादा सांसद-विधायक का टारगेट पूरा करने में जुट गया है। मंत्री और विधायकों की रिपोर्ट तो इस मामले में और भी खराब है। राज्यसभा या लोकसभा के प्रत्येक सांसद को 25 हजार सदस्य बनाना है। मगर 15 अक्टूबर तक चलने वाले अभियान को केवल गुना सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ही अब तक पूरा कर सके हैं। सिंधिया की स्पीड इतनी ज्यादा है कि कोई दूसरे सांसद उनके आसपास भी नहीं हैं। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सिंधिया के रेफरल से अब तक 40 हजार से ज्यादा सदस्य बन चुके हैं। यह आंकड़ा रोजाना बढ़ रहा है। दूसरे नंबर पर नर्मदापुरम से पहली बार के सांसद दर्शनसिंह चौधरी का है। शिक्षाकर्मी से सांसद बने चौधरी ने अभियान के पहले चरण में ही 25 हजार का टारगेट पूरा कर लिया था और उसके बाद अब अपना खाता ही बंद कर दिया है। चौधरी का कहना है कि वे अब दूसरों के लिए सदस्य बना रहे हैं। इसी सूची में तीसरा नाम सतना सांसद गणेश सिंह का नाम है। तीन बार के सांसद सिंह भी पार्टी के टारगेट के करीब पहुंच गए हैं। वे अब तक करीब 24 हजार सदस्य अपने रेफरल से बना चुके हैं। प्रदेशाध्यक्ष व खजुराहो सांसद भी टॉप फाइव में बने रहने की कोशिश में जुटे हैं। अभी तक उनके रेफरल से 22 हजार से ज्यादा सदस्य बन चुके हैं। सबकी कोशिश है कि अगले चार दिन में वे बाकी तीन हजार सदस्य बनाकर टारगेट पूरा कर लें। हालांकि टॉप टेन की लिस्ट से उनकी लोकसभा और पन्ना जिला काफी पीछे छूट गया है। शुरूआती दस दिन में पन्ना टॉप टेन में आ गया था। पन्ना जिले के तीनों विधायकों ने सदस्यता में गंभीरता नहीं दिखाई, इससे जिले का प्रदर्शन पिछड़ गया।
सदस्यता अभियान में प्रदेश के 29 सांसदों को 25 हजार, विधायक और मंत्रियों को 15 हजार, महापौर 15 हजार और नगर पालिका अध्यक्ष को 5 हजार नए सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया गया है। लेकिन कई सांसद और विधायक टारगेट से दूर हैं। अधिकांश अपने टारगेट के आसपास भी नहीं आ सके हैं। विधायकों को 15 हजार सदस्य बनाना है। मगर अब तक अधिकांश विधायकों की पर्सनल रिपोर्ट काफी कमजोर बनी हुई है। पूर्व मंत्रियों और वरिष्ठ विधायकों की बात की जाए तो विधायक गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, अजय विश्नोई जैसे बड़े नाम भी अपने टारगेट से दूर हैं तो राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा, आदिमजाति कल्याण मंत्री विजय शाह जैसे दिग्गज पर्सनल रेफरल से सौ का आंकड़ा ही बमुश्किल पार कर सके हैं। संभागवार रिकॉर्ड में इंदौर सबसे आगे चल रहा है तो भोपाल-नर्मदापुरम दूसरे और ग्वालियर नंबर तीन पर है। भोपाल के लिए नर्मदापुरम का सहारा काम आया है। वरना यहां के सांसद- विधायकों की पर्सनल रिपोर्ट काफी कम है। इसके उलट कांग्रेस के कब्जे वाली मध्य विधानसभा सीट पर भाजपा की सदस्यता अच्छी हो रही है। सांसद विधायकों के साथ ही संगठन के नेताओं ने अपना रिपोर्ट कार्ड सुधारने के लिए अब नया तरीका अपनाया है। विभिन्न मोर्चा और प्रकोष्ठ के प्रदेश व जिलों के नेताओं को संगठन पदाधिकारियों ने अपने रेफरल कोड से सदस्य बनाने के काम में लगा रखा है। कोई मोर्चा-प्रकोष्ठ यदि एक हजार की मेंबरशिप कर रहा है तो उसमें 25 से 50 फीसदी सदस्य संगठन के बड़े नेताओं के रेफरल से बनवाना पड़ रहे हैं।

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