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भगवान बुद्ध की प्राकट्य स्थली ( गया ) में सम्पन्न हुआ हिन्दूराष्ट्र सम्मेलन

पूज्यपाद जगदगुरु शंकराचार्य गोवर्धन पीठाधीश्वर महाराज जी के आशीर्वाद से हिंदू राष्ट्र सम्मेलन कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी मंगलवार 12 नवंबर 2024 पूज्य महाराज श्री के शिष्य श्री प्रेमचंद्र झा जी के सानिध्य में भगवान बुद्ध के प्रकटय स्थली ग्राम घेजन, जिला जहानाबाद  बिहार में संपन्न हुआ। जिसमें देश के विभिन्न क्षेत्र से आए हुए विद्वानों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किया। जैसा कि आप जानते हैं सनातन परंपरा में भगवान विष्णु के नवें अवतार के रूप में भगवान बुद्ध का ब्राह्मण कुल में जन्म हुआ था। भागवत में भी वर्णन है जो किकट प्रदेश में यानी गया क्षेत्र में भगवान विष्णु अवतरित होंगे। श्री प्रेमचंद झा जी ने महाराज श्री के अभियान का विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत किया।

भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की पहल 

भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए साप्ताहिक संगोष्ठी एवं सेवा का प्रकल्प चला कर लोगों को जोड़ने का प्रयास करने का आह्वान किया। उनका कहना है मुगल एवं अंग्रेज के द्वारा जितना क्षति सनातन धर्म का नहीं हुआ उससे अधिक क्षति स्वतंत्र भारत के 76 वर्ष के शासन में हुआ।आज भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा, विवाह, उत्सव एवं संविधान की आधारशिला भी भारतीय परंपरा के अनुसार नहीं है। जब तक धर्म नियंत्रित, पक्षपात विहिन्न, शोषण विनर मुक्ति , सर्वहित पद, सनातन शासन तंत्र भारत में स्थापित नहीं होगा किसी भी मान बिंदुओं का रक्षा संभव नहीं है, इसीलिए जल्द से जल्द भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करवाना चाहिएĺ

भगवान बुद्ध के रूपों का वर्णन 

राजाराम शर्मा जी ने कहा सनातनी परंपरा के अनुसार नौंवा अवतार बुद्ध भगवान के रुप में (एक गरीब ब्राह्मण परिवार में )घेजन ग्राम के हुआ था। यह गांव मोरहर नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित है। इस अवतार को हम वौध्दा अवतार के नाम से भी जानते हैं।श्रीमद्भागवत महापुराण के टिकाकार श्रीधर स्वामी महाराज जी ने भी अपने ग्रंथ में इसका वर्णन किया है। यह स्थान गया जी धाम से 25 किलो मीटर उत्तर  मखदुमपुर स्टेशन से 10 किलोमीटर पश्चिम घेजन ग्राम है जिसका थाना सकूराबाद जिला  जहानाबाद है।

इस स्थान पर जाने के लिए जहानाबाद और मखदुमपुर से भी हर तरह की सुविधा है। प्रोफेसर श्री राजीव कुमार ने विचार व्यक्त करते हुए कहा भगवान बुद्ध के इस अवतार के हजारों वर्ष बाद नेपाल की तराई में स्थित एक स्थान है लुंबिनी, वहीं सिद्धार्थ के नामसे एक क्षत्रिय राज परिवार में उत्पन्न व्यक्ति जो शांति की खोज में भटकते हुए बोधगया में निरंजना नदी के पश्चिमी तट पर एक बट्टवृक्ष के निचे भूखे प्यासे तपस्या कर रहे थे वहीं सुजाता नाम की एक कन्या द्वारा खीर खिलाने और आत्म बोध कराने पर इनको ज्ञान की प्राप्ति हुई और कालांतर में इन्हें गौतम बुद्ध के नाम से प्रसिद्धी मिला। 

इन दोनों के बीच एक बड़ी समानता यह थी कि दोनों का ही गोत्र गौतम था और इसी गोत्रीय साम्य की बात का सहारा लेकर उनके शिष्यों ने सिद्धार्थ को गौतम बुद्ध के नाम से  प्रचलित और प्रसिद्ध करने का कार्य  किया है ।
     
श्री शैलेंद्र कुमार शर्मा जी ने कहा बुद्धावतार के हजारों साल बाद सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध ) का जन्म है। दोनों के जन्म स्थान अलग है दोनों के ही वर्ण भी दो हैं। इस प्रकार किसी तरह का कोई एकरूपता और समानता नहीं है दोनो में। एक मात्र गोत्र ही दोनों का समान है। इसी का सहारा लेकर गौतम बुद्ध को नवम अवतार घोषित करने में चालाकी से पहले गोत्र गौतम को जोड़ कर बुद्ध लगा दिया गया और गौतम बुद्ध घोषित करने का काम किया गया है। लगातार 1000 वर्ष तक भारतवर्ष गुलामी का दंश झेलता रहा है बाद के बरसों में ब्रिटिश शासन तंत्र के अधीन इतिहास लेखन गलत रूप से किया गया है। यह सब सनातन को समाप्त करने का एक कुप्रयास ही रहा है। भगवान बुद्ध के  जन्मस्थली घेजन में अवस्थित भगवान बुद्ध की जो प्रतिमा है उसको देखने से दोनों बुद्ध कि आकृति छवी में काफी अंतर महसूस होता है। 

हिंदू राष्ट्र सभा मानना गौरव की बात 

श्री रमाकांत शर्मा जी ने अपने अध्यक्ष भाषण में भगवान बुद्ध के जन्म स्थान पर उनके जन्मोत्सव कार्यक्रम के बीच हिंदू राष्ट्र सभा मानना गौरव की बात है। श्री अशोक पांडे बोकारो झारखंड, श्री बंगाली यादव  शमशे ,अभिराज कुमार अकेला, श्री बागेश्वर शर्मा मुखिया जी, संयोजक श्री आवास कुमार शर्मा जी ने भी अपने विचार रखें इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए श्री जोगिंदर शर्मा श्री देव मिश्रा ,श्री राम गोविंद पाठक, श्री राहुल मिश्रा,  बंगाली  यादव,श्री प्रमोद तिवारी एंव अन्य सक्रिय रहे।

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