धर्म

हारी बाजी भी जीत लाएंगे…बस इस पावरफुल मंत्र का जाप करें शुरू, जानें इसकी स्तुति से किस देवी का मिलेगा आशीर्वाद

इंसानी जीवन के इस कालचक्र में हार जीत तो लगी ही रहती है. इसके बाद भी कोई भी व्यक्ति हार का नहीं देखना चाहता है. दरअसल, विजय यानी जीत एक ऐसा वर है जिसका हर कोई वरण करना चाहता है. फिर चाहे वो किसी भी क्षेत्र में हो. कोई पढ़ाई में जीत की अपेक्षा रखता है तो कोई खेलों में. कोई चुनाव में तो कोई युद्ध में. इस मृत्युलोक में माया के मोह पाश से बंधे सभी प्राणी विजय के अभिलाषी होते हैं. यदि आप भी जीत का वर चाहते हैं तो एक पावरफुल मंत्र की रोज स्तुति शुरू करें. इस परम पवित्र मंत्र के जाप से आपको विजय प्राप्त हो सकती है. हारती बाजी भी आप जीत कर ला सकते हैं. अब सवाल है कि आखिर वो कौन सा मंत्र है जो जीत करा सकता है? इस बारे में News18 को बता रहे हैं प्रतापविहार गाजियाबाद के ज्योतिषाचार्य राकेश चतुर्वेदी-

हारी बाजी को भी जीत में बदल देती हैं ये देवी

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, यदि आप अपने जीवन में विजय के निश्चित अभिलाषी हैं, तो एक पवित्र और दुर्लभ मंत्र से विजय पाना आसान हो जाता है. यह मंत्र माता अपराजिता को प्रसन्न करने का है. इसके लिए आपको रोज अपराजिता स्तोत्र करना चाहिए. ऐसा करने से माता की कृपादृष्टि प्राप्त होती है और माता के आशीष और अनुकंपा से विजय भी मिलती है

भगवान राम ने भी किया था इस मंत्र का जाप!

सनातन धर्म की मान्यताओ के अनुसार माता अपराजिता की पूजा आराधना से किसी भी व्यक्ति को सभी दिशाओं में विजय प्राप्ति का वरदान मिलता है. पुराणों में वर्णन अनुसार भगवान राम ने भी लंका पर विजय से पहले माता के ही इस मंत्र से माता की उपासना की थी, जिसके फल स्वरूप वे युद्ध में विजयी हुए.

देवी अपराजिता पूजा मंत्र और समय

फिर दोपहर के समय में देवी अपराजिता की विधि विधान से पूजा करें. पूजा के समय ‘ओम अपराजितायै नम:’ मंत्र का जाप 11 बार करें. देवी सूक्तम, देवी कवच और अर्गला स्तोत्र का पाठ करें. पूजा के अंत में मां शक्ति की आरती करें.

क्या है पूजन विधि?

माता अपराजिता अत्यंत शक्तिशाली देवी हैं, जिनके नाम से ही यह स्पष्ट होता है कि शक्ति की वह देवी, जिसे कोई पराजित ही नहीं कर सकता. माता के ऐसे स्वरूप के पूजन के लिए स्वच्छ मन, तन एवं हृदय से माता का स्मरण कर इस परम शक्तिशाली अपराजिता स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. इसके नियमित पाठ से माता प्रसन्न होती हैं और अभीष्ट वरदान देती हैं.

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