मध्यप्रदेशराज्य

माशिमं ने बदले 10वीं बोर्ड के नियम

भोपाल । अब कक्षा दसवीं में विद्यार्थी अगर एक भी विषय में फेल होता है तो उसे सप्लीमेंट्री दी जाएगी। माध्यमिक शिक्षा मंडल ने बेस्ट ऑफ फाइव योजना को बंद कर दिया है। योजना के तहत छह में पांच विषय में पास होने पर विद्यार्थी को पास कर दिया जाता था। चार साल पहले इसे लागू किया था। योजना बंद होने के बाद कक्षा दसवीं के विद्यार्थियों को सभी छह विषयों में पास होना जरूरी होगा। पूरे प्रदेश से परीक्षा में नौ से दस लाख विद्यार्थी शामिल होते हैं। इस योजना को शुरू करने के पीछे मुख्य उद्देश्य रिजल्ट में सुधार करना था। कक्षा दसवीं में छह विषय हैं। लेकिन बीते कुछ सालों में विद्यार्थियों को केवल पांच विषय की अंकसूची मिल रही थी। इस अंकसूची में वे विषय शामिल होते थे जिनमें अंक सबसे ज्यादा होते थे। सर्वाधिक पांच अंक लाने वाले विषयों के नंबर जोडक़र रिजल्ट घोषित होता रहा है। जिस विषय में सबसे कम अंक वह रिजल्ट से बाहर कर दिया जाता था। अब नए सत्र से अंकसूची में सभी छह विषय और अंक शामिल रहेंगे। इस का असर रिजल्ट पर होगा।

स्कूल शिक्षा विभाग चिंतित
माशिमं द्वारा दसवीं में बेस्ट ऑफ फाइव योजना को समाप्त किए जाने के कारण स्कूल शिक्षा विभाग को इस बार 10वीं का परिणाम खराब होने का डर भी सता रहा है। हाल ही में अभी नौवीं से 12वीं कक्षा तक की तिमाही परीक्षा का परिणाम जारी किया गया, जिसमें सबसे खराब परिणाम 10वीं का 55 फीसद से कम रहा। ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग ने बेहतर रिजल्ट के लिए कवायद शुरू कर दी है। सभी जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) को निर्देश देकर 10वीं व 12वीं कक्षा के कमजोर विद्यार्थियों के लिए अलग से विशेष कक्षाएं लगाने के लिए कहा गया है। इस पर सभी जिले के डीईओ ने प्राचार्यों की समीक्षा बैठक बुलाकर कमजोर बच्चों को चिह्नित करने और रेमेडियल क्लास लगाने के निर्देश दिए हैं। इसमें पिछले दो-तीन वर्षों में मेरिट में आने वाले विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिका से तैयारी कराई जा रही है। बता दें कि 10वीं में बेस्ट ऑफ फाइव योजना के बावजूद 2022 में 59.54 प्रतिशत, 2023 में 63.29 प्रतिशत और 2024 में 58.1 प्रतिशत परिणाम रहा था। इस योजना के लागू होने के बाद भी पिछले साल 10वीं का परिणाम 60 प्रतिशत से कम रहा था।

परिणाम सुधारने होंगे कई प्रयास
बैठक में निर्देशित किया गया है कि छमाही परीक्षा नौ दिसंबर से शुरू होगी, तब तक 60 प्रतिशत पाठ्यक्रम पूरा करना होगा। इसके बाद परीक्षा के बाद भी कक्षाएं लगाई जाएंगी। यह निर्देश भी दिए गए हैं कि विद्यार्थियों को छमाही परीक्षा की कापी भी दिखाई जाएं, ताकि उन्हें पता चल सके कि उन्होंने कहां गलती की हैं। प्री-बोर्ड परीक्षा में शत-प्रतिशत पाठ्यक्रम को पूरा किया जाए। प्राचार्यों को भी निर्देश दिए गए हैं कि 10वीं व 12वीं में पाठ्यक्रम को पूरा करवाने के लिए रेमेडियल कक्षाओं के साथ ही अतिरिक्त कक्षाओं की व्यवस्था भी की जाए। जो विद्यार्थी जिस विषय में कमजोर हैं, उनके सेक्शन मिलाकर एक कक्षा लगवाई जाए, ताकि विद्यार्थियों के कमजोर पक्ष को पहचान कर उसे दूर किया जाए।

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