मध्यप्रदेशराज्य

वन मंत्री बनने कई मंत्रियों ने शुरू की लॉबिंग

भोपाल । विजयपुर विधानसभा उपचुनाव में हारके बाद वन मंत्री राम निवास रावत का इस्तीफा मंजूर हो गया है। इसी के साथ प्रदेश में अगल वन मंत्री के लिए कयासों का दौर शुरू हो गया है। इस पद के लिए पीएचई मंत्री संपतिया उइके और विजय शाह की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है। वहीं पूर्व वन मंत्री नागर सिंह चौहान भी दौड़ में शामिल हैं। वन मंत्री रह चुके कुंवर विजय शाह का दो दिन पहले एक वीडियो भी सामने आया था। इसमें जब शाह से पूछा गया कि रावत के इस्तीफे के बाद वन मंत्री का पद खाली है, क्या वे वन मंत्री बन सकते हैं। इस पर शाह बिना कोई जवाब दिए मुस्कुरा कर चल दिए थे। वहीं मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने अपने पास कई महत्वपूर्ण विभाग रखे हैं। इसमें सामान्य प्रशासन विभाग के अलावा गृह, जेल विभाग, औद्योगिक नीति और निवेश प्रोत्साहन, जनसंपर्क, नर्मदा घाटी विकास विभाग, विमानन, खनिज, लोक सेवा प्रबंधन, प्रवासी भारतीय विभाग शामिल हैं। विभागों के नए बंटवारे में सीएम अपने पास से भी कुछ विभाग दूसरे मंत्रियों को दे सकते हैं।
गौरतलब है कि नागर सिंह चौहान को हटाकर राम निवास रावत को वन मंत्री बनाया गया था। लेकिन वे उपचुनाव हार गए। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विदेश दौरे से लौटने के बाद 2 दिसंबर को रावत के इस्तीफे को अनुशंसा के लिए राज्यपाल मंगूभाई पटेल के पास भेजा था। बुधवार देर शाम राजभवन की ओर से इस्तीफे की मंजूरी की प्रक्रिया पूरी कर ली गई। रावत का इस्तीफा मंजूर होते ही अब नए वन मंत्री की तलाश शुरू हो गई है। वन्य प्राणियों से जुड़े इस महकमे को पाने के लिए दूसरे मंत्री भी तैयार हैं। रावत कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हुए और वन मंत्री रहते हुए चुनाव लड़ा था। सूत्रों की माने तो ऐसे में सरकार उन्हें जल्द ही किसी नए पद की जिम्मेदारी दे सकती है। रावत का इस्तीफा मंजूर होने के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि यह महत्वपूर्ण महकमा किसे मिलेगा…?

नया चेहरा या किसी मंत्री को ही जिम्मेदारी?
मंत्रिमंडल में रावत के इस्तीफे के बाद मोहन कैबिनेट में अब कुल 32 मंत्री हैं। विधानसभा सदस्यों की संख्या के हिसाब से संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक अधिकतम 35 मंत्री (मुख्यमंत्री सहित) रह सकते हैं। इस हिसाब से 3 मंत्रियों की गुंजाइश है, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार की फिलहाल कोई संभावना नहीं दिख रही है। ऐसी राजनीतिक परिस्थितियां भी नहीं हैं कि संगठन या सरकार के लिए विस्तार मजबूरी हो। इसकी संभावना ज्यादा है। किसी आदिवासी मंत्री को यह जिम्मेदारी मिल सकती है, क्योंकि रावत से पहले यह विभाग आदिवासी मंत्री नागर सिंह के पास ही था। नागर सिंह भी खुलकर दावेदारी कर चुके हैं। आदिवासी चेहरों में पीएचई मंत्री संपतिया उइके प्रबल दावेदार हैं। आदिवासियों से जुड़े मुद्दों के मामले में मुख्यमंत्री मोहन यादव फील्ड में उन्हें आगे करते रहे हैं। इससे सरकार महिला और आदिवासी दोनों वर्गों में मैसेज देगी। दूसरे दावेदार जनजातीय कार्य मंंत्री विजय शाह हैं जो दिल्ली तक लॉबिंग कर चुके हैं। शिवराज सरकार में वन विभाग उनके पास रह चुका है।

परिणाम आते ही दिया था इस्तीफा
वनमंत्री राम निवास रावत ने 23 नवंबर को विजयपुर विधानसभा उपचुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद उसी शाम मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि तब से इस पर फैसला पेंडिंग था। मुख्यमंत्री 24 नवंबर को विदेश के लिए रवाना हो गए और तीस नवंबर को भोपाल लौटे। इसके बाद रावत की उनसे मुलाकात हुई और अब इस्तीफे को मंजूरी मिली है। रावत का इस्तीफा दो दिसंबर को मंजूर किया गया। इसका नोटिफिकेशन सामान्य प्रशासन विभाग ने 4 दिसंबर को जारी किया। सीएम डॉ मोहन यादव के जर्मनी और यूके से 30 नवंबर को भोपाल लौटने के बाद मंत्री रावत ने उनसे मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि सीएम से मुलाकात के बाद ही इस्तीफे को स्वीकार करने पर अंतिम फैसला हुआ है। सीएम यादव की अनुशंसा के बाद इस्तीफा राजभवन को भेजा गया।

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