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‘सीरिया की स्थिति पर करीबी नजर रखी जा रही है, हम अपने लोगों के साथ लगातार संपर्क में हैं’, विदेश मंत्रालय का बयान

सीरिया में इस्लामिक विद्रोहियों के सत्ता में आने के बाद से ही पूरी दुनिया वहां के हालात पर नजर रख रही है। इस बीच, घटना के 24 घंटे बाद भारत ने सोमवार को देश में स्थिरता लाने के लिए सीरिया के नेतृत्व में समावेशी और शांतिपूर्ण राजनीतिक प्रक्रिया की वकालत की। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दमिश्क में भारतीय दूतावास भारतीय समुदाय की सुरक्षा के लिए उनके संपर्क में है।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह सीरिया में चल रहे घटनाक्रम पर नजर रख रहा है। हम चल रहे घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में सीरिया के हालात पर करीब से नजर रख रहे हैं। हम सीरिया की एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सभी पक्षों द्वारा काम करने की जरूरत पर जोर देते हैं। हम सीरियाई समाज के सभी वर्गों के हितों और आकांक्षाओं का सम्मान करते हुए सीरिया के नेतृत्व में शांतिपूर्ण और समावेशी राजनीतिक प्रक्रिया की वकालत करते हैं।

दो दिन पहले ही जारी हुई थी एडवाइजरी

भारत वहां के हालात पर काफी समय से नजर रख रहा है। दो दिन पहले ही भारत सरकार ने देर रात सभी भारतीय नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की थी। इसमें अगली सूचना तक सीरिया की यात्रा पूरी तरह से टालने की सलाह दी गई थी। एडवाइजरी में आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर और ईमेल आईडी भी साझा किए गए थे।

सीरिया छोड़ने की सलाह दी गई थी भारतीयों को

विदेश मंत्रालय ने सीरिया में मौजूद सभी भारतीयों से दमिश्क में भारतीय दूतावास के संपर्क में रहने की अपील की थी। इसके अलावा सलाह दी गई थी कि जो लोग वहां से निकल सकते हैं, वे उपलब्ध वाणिज्यिक उड़ानों के जरिए जल्द से जल्द सीरिया छोड़ दें। जो लोग ऐसा नहीं कर सकते, उन्हें अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क रहना चाहिए और कम से कम अपने घरों से बाहर निकलना चाहिए।

बशर अल-असद का शासन समाप्त

इससे पहले सीरिया पर 20 साल तक शासन करने वाले बशर अल-असद का शासन समाप्त हो गया था। 13 दिनों के भीतर विद्रोही बलों ने अलेप्पो से लेकर हमा तक एक के बाद एक शहरों पर कब्जा कर लिया और फिर राजधानी दमिश्क पर हमला कर दिया। विद्रोहियों के इस अभियान की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शनिवार और रविवार के बीच दमिश्क की घेराबंदी करने के बाद दोपहर तक उन्होंने राजधानी पर कब्जा कर लिया। इसके बाद सीरियाई सेना को नेतृत्व की भारी कमी का सामना करना पड़ा और उसके कई सैनिक सीमा पार कर पड़ोसी देशों में शरण लेने लगे। इस तरह विद्रोही ताकतों ने असद परिवार का 50 साल पुराना शासन छीन लिया।

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