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सीरिया में उम्मीद की किरण: गृहयुद्ध के बाद अपने घरों की ओर बढ़े नागरिक

दमिश्क। सीरिया में बशर-अल असद की सत्ता के पतन के बाद हालात बदल गए हैं। गृहयुद्ध के चलते विस्थापित हुए लोग अब अपने घरों को लौटने लगे हैं। हालांकि उनके लिए गृहयुद्ध में तबाह अपने घरों को फिर से बसाना आसान नहीं है। ऐसा ही एक परिवार अब्दो बाकरी का है, जो शनिवार को उत्तर पश्चिमी सीरिया में अपने गृहनगर साराकिब लौट आया।

यह परिवार पिछले पांच वर्ष से ज्यादा समय से सुरक्षित स्थान की तलाश में भटक रहा था। उन्होंने वर्षों की मेहनत से अपने परिवार के लिए यहां घर बनाया था। अपने घर पहुंचने पर राहत की सांस ली, लेकिन घर की हालत बहुत खराब थी। दरवाजे और खिड़कियां टूटी मिलीं, लेकिन दीवारें और छत बरकरार मिलीं।

चार बच्चों के पिता बाकरी ने कहा, 'अल्लाह का शुक्र है कि हमें साराकिब दोबारा मिल गया है। हम इसे फिर से बसाएंगे। इस शहर को असद शासन ने तबाह कर दिया था।' इसी तरह अपने गृहनगर लौटने वाली 30 वर्षीय यास्मीन अली ने कहा, 'जब हमें अपने घर को छोड़ना पड़ा था, तब हमारी हालत बिन पानी मछली की तरह थी।'

विद्रोहियों के नियंत्रण वाले साराकिब पर असद की सेना ने 2020 में कब्जा कर लिया था। बाकरी और यास्मीन जैसे हजारों सीरियाई हैं, जो अपने गृहनगरों से गहराई से जुड़े हैं। वे अब अपने घरों को लौटने के प्रयास में जुट गए हैं। बता दें कि इस पश्चिम एशियाई देश में 2011 में शुरू हुए गृहयुद्ध के कारण दुनिया में सबसे बड़ा विस्थापन संकट पैदा हुआ।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सीरिया के अंदर ही करीब 72 लाख लोग विस्थापित हुए। सबसे ज्यादा विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाकों में लोग विस्थापित हुए। जबकि 60 लाख से ज्यादा लोगों ने शरण की आस में दूसरे देशों का रुख किया। 13 वर्षों तक चले इस युद्ध में करीब छह लाख लोग मारे गए।

सीरिया की राजधानी दमिश्क में जनजीवन पटरी पर लौटने लगा है। असद के सत्ता से अपदस्थ होने के बाद मंगलवार को पहली बार शहर में बैंक और दुकानें खुलीं। सड़कों पर आवाजाही सामान्य होती प्रतीत हुई। सड़कों की सफाई और कई जगहों पर मरम्मत के कार्य में श्रमिकों को जुटे देखा गया। जबकि संयुक्त राष्ट्र ने सीरिया में मानवीय हालात को लेकर चिंता जताई और कहा कि यहां 1.6 करोड़ से ज्यादा लोगों को मदद की जरूरत है।

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