जांच एजेंसियों को मिलेगी मदद, आधार के बायोमैट्रिक डाटा से पहचान होगी आसान
केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अज्ञात शवों की पहचान के लिए बायोमैट्रिक के इस्तेमाल पर जोर दिया है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के साथ तीन नए आपराधिक कानूनों के लागू किये जाने की समीक्षा के दौरान अमित शाह ने यह सलाह दी।
इसके साथ ही उन्होंने तीनों आपराधिक कानूनों के तहत केस के हर चरण का अलर्ट पीड़ित के साथ-साथ जांच अधिकारी और वरिष्ठ अधिकारियों को भेजना सुनिश्चित करने को कहा। शाह ने थानों, अदालतों, जेलों, अभियोजन और फारेंसिक के बीच सूचनाओं के निर्वाध आदान-प्रदान के लिए उनके ई-पोर्टल को आपस में जोड़ने की योजना की प्रगति की भी समीक्षा की।
एनसीआरबी के साथ बैठक में अमित शाह ने कहा कि देश में 133 करोड़ से अधिक लोगों के आधार कार्ड बन चुके हैं। इससे साफ है कि अधिकांश लोगों का बायोमैट्रिक डाटा यूआइडीएआइ के पास मौजूद है, जिसका इस्तेमाल जांच एजेंसियां कर सकती है। इन बायोमैट्रिक डाटा के इस्तेमाल से अनजान शवों के साथ-साथ अज्ञात व्यक्तियों की भी सटीक पहचान आसानी से हो सकती है।
अमित शाह ने कहा कि पुलिस व जांच एजेंसियों को इसके इस्तेमाल की आदत डालनी चाहिए। शाह ने नेशनल आटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेनटिफेकेशन सिस्टम (नफीस) को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए एनसीआरबी की सराहना की। नफीस में सभी अपराधियों के फिंगरप्रिंट के रिकार्ड्स आनलाइन उपलब्ध हैं और कई मामलों की जांच में पुलिस को इससे मदद मिल रही है।
अमित शाह ने कहा कि किसी केस के हर चरण की जानकारी अलर्ट के माध्यम से भेजने से पीडि़त का कानून पर भरोसा बढ़ेगा, साथ ही जांच अधिकारी और वरिष्ठ अधिकारी के पास अलर्ट पहुंचने से उन्हें केस की जानकारी रहेगी और किसी भी बेवजह देरी की स्थिति में वे सतर्क हो जाएंगे। इससे पीड़ित को समय पर न्याय दिलाया जा सकेगा।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को नए कानून के तहत ई-साक्ष्य जुटने, न्याय श्रुति पर गवाहों का बयान दर्ज करने और गवाहों व आरोपियों को ई-समन भेजने पर तत्काल काम शुरू करना चाहिए। शाह ने कहा कि एनसीआरबी इस मामले में राज्यों को हर मदद के लिए तैयार है।