मध्यप्रदेशराज्य

देशभर में श्रद्धापूर्वक मनाई जा रही है गुरु गोविंद सिंह जयंती, सीएम मोहन यादव ने दी शुभकामनाएं

भोपाल: आज सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती पूरे देश में प्रकाश पर्व के रूप में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जा रही है। गुरु गोविंद सिंह जी ने समाज में जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव को खत्म करने की आवश्यकता पर बल दिया। खालसा पंथ की स्थापना के समय उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि जाति, धर्म या लिंग के बावजूद हर व्यक्ति समान है। सीएम डॉ. मोहन यादव ने आज शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि 'दसवें गुरु परम श्रद्धेय गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। आपका पराक्रम, त्याग, परोपकार और प्रखर विचार हम सभी के लिए प्रेम, सहयोग और विश्व कल्याण के प्रति समर्पण की अनंत प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे। मैं प्रार्थना करता हूं कि यह पर्व आप सभी के जीवन को ज्ञान, सुख और समृद्धि से आलोकित करे।' 

गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन साहस और बलिदान का प्रतीक है

गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को बिहार के पटना साहिब में हुआ था। उनका जन्म ऐसे ऐतिहासिक समय में हुआ था जब भारत पर मुगल साम्राज्य का शासन था और सिखों पर कई तरह के अत्याचार हो रहे थे। गुरु गोबिंद सिंह जी के पिता गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। इस बलिदान के बाद गुरु गोबिंद सिंह जी ने दस वर्ष की आयु में सिखों के दसवें गुरु के रूप में गद्दी संभाली। गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन साहस, त्याग और समर्पण का प्रतीक है।

प्रकाश पर्व: गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाओं को याद करने का अवसर

गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी। इस दिन बैसाखी थी और गुरु गोबिंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब में एक ऐतिहासिक बैठक आयोजित की थी। इस बैठक में गुरु जी ने अपने अनुयायियों के सामने एक विशेष धर्म की स्थापना की घोषणा की, जो पूरी तरह से धार्मिक और शारीरिक रूप से मजबूत है। इस दिन को "खालसा पंथ की स्थापना" के रूप में मनाया जाता है। खालसा पंथ का उद्देश्य सिखों को एकजुट करना और उन्हें धर्म और समाज की रक्षा के लिए तैयार करना था। गुरु जी ने खालसा के अनुयायियों को पाँच ककारों का पालन करने का आदेश दिया जो केश, कड़ा, कृपाण, कच्छा और कंघा हैं। उनका जीवन एक आदर्श है जो सिखाता है कि धर्म, सत्य, न्याय और सेवा के मार्ग पर चलकर ही समाज में वास्तविक परिवर्तन लाया जा सकता है। गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाएँ आज भी हमारे समाज का मार्गदर्शन करती हैं।

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