राजनीती

केजरीवाल के वादे द्रौपदी की साड़ी जैसे, भाई-बहन खेल रहे फैशन-फैशन

नई दिल्ली। बसपा अध्यक्ष मायावती के भतीजे और पार्टी के नेशनल को-ऑर्डिनेटर आकाश आनंद का आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर दिया बयान चर्चा का विषय बना हुआ है। बता दें आकाश रविवार को दिल्ली के कोंडली में चुनाव प्रचार कर रहे थे। उन्होंने कहा कि केजरीवाल के वादे ऐसे हैं, जैसे द्रौपदी की साड़ी। ये फेंकते जाएं और हम लपेटे जाएं।
आकाश पहले नेता नहीं हैं, जिन्होंने कोई विवादित बयान दिया है। दिल्ली विधानसभा के चुनाव प्रचार के दौरान कई नेताओं के ऐसे बयान आ रहे हैं, जिन पर विवाद खड़े हो रहे हैं। वहीं बीजेपी नेता रमेश बिधूड़ी ने प्रियंका गांधी के गालों जैसी सड़क बनाने का बयान दिया था। इस पर कांग्रेस ने विरोध जाहिर करते हुए कहा था-संघ की मानसिकता को ऐसे ओछे नेताओं के बयान जाहिर कर देते हैं।
आकाश आनंद ने कहा कि केजरीवाल ने 28 लाख नौकरियों का वादा किया था और दी क्या साढ़े बारह हजार नौकरियां। ये भी कोई वादा है, इसे तो हम धोखा भी नहीं कह सकते। ये आदमी सामने-सामने मुंह पर झूठ बोलकर गया। सरकार में पहले से जो नौकरियां थीं सरकारी, उसका भी इन्होंने बुरा हाल कर दिया। इन्होंने उन नौकरियों को कॉन्ट्रैक्चुअल यानी कच्ची नौकरियां बना दिया है। 
आनंद बोले कि आपको जो 200 यूनिट बिजली मुफ्त दी गई, उसकी आपने क्या कीमत चुकाई। आपने शिक्षा गंवाई, आपने साफ पानी गंवाया, साफ हवा गंवाई, आपने अपनी नौकरियां गंवाईं, आपने अपनी यमुना नदी गंवाई। जब केजरीवाल जेल में थे तो दलित को सीएम बना देते। आनंद ने कहा कि इस सरकार से हमारे समाज का कोई नेता इस सरकार से नहीं मिल पाया है। आपको मिली है तो सिर्फ एक भ्रष्ट सरकार जिसके सारे नेता, यहां तक की सीएम भी जेल होकर आ चुके हैं। जब जेल में थे तो मौका था कि हमारे एससी-एसटी समाज से उपमुख्यमंत्री या मुख्यमंत्री बनाने का, लेकिन खुद को बाबा साहेब का समर्थन बताने वालों ने ऐसा क्यों नहीं किया। एक भी ऐसा विधायक नहीं था, जिसे सीएम बना सकते थे? दलित और पिछड़े समाज का इनसे बड़ा विरोधी कोई नहीं है। 
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को लेकर आकाश आनंद ने कहा कि बीजेपी पर दो शब्द बोल भी सकता हूं, कांग्रेस पर तो कुछ भी बोलना बेकार है। कांग्रेस के दो भाई बहन हैं, इन्हें फैशन-फैशन खेलने से फुरसत नहीं है। सांसद में नीली टी-शर्ट और नीली साड़ी पहनकर नाटक करते हैं। जिन राज्यों में इनकी सरकारें हैं, वहां तो हमारे समाज को सम्मान दे नहीं पाए। दिल्ली चुनाव सर पर हैं तो इन्हें फैशन-फैशन खेलना है। 

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