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दिल्ली में खोई जमीन पाने के लिए कांग्रेस ने अपनाया एमओएस फॉर्मूला

नई दिल्ली । दिल्ली में कांग्रेस पार्टी सभी 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। लेकिन पार्टी खासकर उन सीटों पर ध्यान केंद्रित कर रही है जहां अल्पसंख्यक, ओबीसी और अनुसूचित जाति के वोटर ज्यादा हैं। पार्टी पुराने वोट बैंक को मजबूत करने के साथ-साथ सामाजिक अल्पसंख्यकों और झुग्गी-झोपड़ी वालों से फिर से जुड़ने की कोशिश कर रही है, जो परंपरागत रूप से कांग्रेस के समर्थक रहे हैं। पार्टी 13 जनवरी को राहुल गांधी की सीलमपुर में पहली जनसभा भी करवा रही है। कांग्रेस के एक अधिकारी के अनुसार,पार्टी जमीनी स्तर पर अपने कार्यकर्ताओं को मज़बूत करने और वोट बैंक को फिर से जीवित करने पर काम कर रही है। साथ ही, पार्टी सामाजिक अल्पसंख्यकों और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों से दोबारा जुड़ने पर खास ध्यान दे रही है। ये लोग पारंपरिक रूप से कांग्रेस के वफादार समर्थक रहे हैं। कांग्रेस नेता ने बताया कि मुस्तफाबाद, सीलमपुर, ओखला, बाबरपुर, चांदनी चौक, मटिया महल, बल्लीमारान और गोकुलपुरी जैसे अल्पसंख्यक बहुल इलाकों ने हमेशा हमारा समर्थन किया है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में हमें इन इलाकों से काफी वोट मिले थे। ज़्यादातर सीटों पर हमने अपने उम्मीदवार पहले ही घोषित कर दिए हैं ताकि लोगों को हमारी पार्टी की गारंटियों के बारे में अच्छी तरह से बताया जा सके। राहुल गांधी की 13 जनवरी को सीलमपुर में पहली जनसभा की भी पुष्टि की। कांग्रेस ने सीलमपुर सीट से पूर्व आप विधायक अब्दुल रहमान को टिकट दिया है, जबकि पूर्व कांग्रेस सरकार के मंत्री हारून यूसुफ बल्लीमारान से चुनाव लड़ेंगे। मुस्तफाबाद से अली मेहंदी कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। मटिया महल से दिल्ली के पूर्व आप मंत्री आसिम अहमद खान और बाबरपुर विधानसभा क्षेत्र से पूर्व आप विधायक मोहम्मद इशराक खान कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे।

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