मनोरंजन

संजय दत्त और ‘खलनायक’: जेल जाने के बाद भी हिट हुई फिल्म, ‘चोली के पीछे क्या है’ गाने का विवाद

संजय दत्त: कई बार जिंदगी किसी ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है, जहां से वापस जा पाना बहुत मुश्किल होता है. उस वक्त हमें उसका सामना करना ही पड़ता है. कुछ ऐसा ही हुआ था बॉलीवुड के खलनायक संजय दत्त के साथ. जब 19 अप्रैल 1993 को मुंबई में बम धमाके हुए तो अभिनेता को आर्म्स एक्ट और TADA के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था. जब हथकड़ी पहने संजय दत्त जा रहे थे तो ऐसा नहीं था कि लोगों ने उनको पहली बार इस तरीके से देखा था. उसी दौर में अभिनेता की फिल्म खलनायक आने वाली थी. उसके पोस्टर जगह-जगह चिपके थे. जिसमें संजय दत्त के हाथों में हथकड़ी थी और उनके लंबे-लंबे बाल थे. पोस्टर पर लिखा था, 'हां हां, मैं हूं खलनायक'.

संजय दत्त की गिरफ्तारी के बाद उनकी इमेज पर ये बहुत बड़ा धब्बा था, लेकिन जिस वक्त उन्होंने "खलनायक" साइन की थी उस वक्त वो एक ऐसे स्टार बन चुके थे जो अपने दम पर फिल्म चला सकता है. कहते हैं कि यही वजह है कि इस फिल्म के लिए उन्होंने एक करोड़ रुपये फीस ली थी. उस दौर में किसी भी अभिनेता के लिए ये एक बहुत बड़ी रकम थी. कहा जाता है कि जब खलनायक रिलीज हुई तो ये एक बहुत औसत फिल्म थी. लेकिन 90 के दशक में इस फिल्म को देखने के लिए लोग थिएटर्स के बाहर लाइन लगाकर खड़े रहते थे. यही वजह थी कि "खलनायक" 1993 की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गई थी.

"खलनायक" को लेकर कहा जाता है कि इस फिल्म को हिट बनाने के पीछे कई फैक्टर्स थे. लेकिन इसमें से दो फैक्टर्स सबसे बड़े थे, पहला संजय दत्त का जेल जाना और दूसरा इस फिल्म का गाना "चोली के पीछे क्या है". उस दौर में "चोली के पीछे क्या है" गाने को सुनने में भले ही लोगों को परिवार के सामने शर्म आती हो, लेकिन फिर भी इसे चोरी छिपे सुना और देखा जाता था. सुभाष घई की फिल्म का गाना बन तो गया, लेकिन इसे पब्लिक तक पहुंचाना इतना आसान काम नहीं था.

जब खलनायक की देशभर में लाखों कैसेट्स बिकीं तो चोली के पीछे गाना देखा भी गया और सुना भी गया. रिपोर्ट्स की मानें तो ये गाना सुनने के बाद दिल्ली के एक वकील कोर्ट पहुंच गए और याचिका दायर करते हुए इस गाने को भद्दा, अश्लील और महिला विरोधी बताया. उनका कहना था कि इससे जनता तक गलत मैसेज जा रहा है. मांग की गई कि इस गाने को टीवी पर न दिखाया जाए. लेकिन सुभाष घई इसे मानने के मूड में नहीं थे, तो वो भी जवाब में कोर्ट पहुंच गए.

हालांकि बाद में ये केस खारिज हो गया तो सुभाष घई को लगा कि पचड़े से मुक्ति मिली. लेकिन तब तक पब्लिक को इस केस की भनक लग गई. फिर क्या था, लोगों ने कागज कलम उठाया और चिट्ठियां लिखीं. CBFC के चेयरपर्सन शक्ति सामंत के पास देशभर से करीब 200 चिट्ठियां पहुंची थीं. उनमें लिखा था कि ये एक बेहूदा गाना है. इसको सुनने के बाद लड़कियों के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं बढ़ गई हैं. इसलिए इसे हटाया जाए.

खबरों की मानें तो "चोली के पीछे क्या है" गाने के खिलाफ देशभर के कई लोग थे, लेकिन कुछ लोग इसके पक्ष में भी थे, उनका कहना था कि ये एक राजस्थानी लोकगीत पर आधारित गाना है और हमें इससे कोई आपत्ति नहीं है. इसके बाद सुभाष घई ने इस फिल्म को सेंसर बोर्ड के पास भेजा, तब सेंसर बोर्ड ने फिल्म में सात कट लगाए, जिसमें से तीन "चोली के पीछे क्या है" गाने पर थे. हालांकि बाद में इस गाने में दो ही कट लगे और फिल्म रिलीज की गई. जो लोगों के बीच खूब पॉपुलर हुई.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button