मध्यप्रदेशराज्य

 22 जिलों में बेमौसम बारिश से 9.52 लाख मीट्रिक टन धान भीगा

सीएम के निर्देंश का लापरवाह अधिकारियों पर नहीं हुआ असर 

भोपाल । मध्य प्रदेश के 22 जिलों में बेमौसम बारिश से 9.52 लाख मीट्रिक टन धान प्रभावित हुआ है, इससे करोड़ों रुपये के नुकसान की आशंका जाहिर की जा रही है। यह धान समर्थन मूल्य पर खरीदा गया था, और इस धान को सुरक्षित भंडारण या शीघ्र परिवहन की आवश्यकता थी। लेकिन अधिकारियों और ठेकेदारों की लापरवाही के कारण धान का सुरक्षित परिवहन और भंडराण संभव नहीं हो सका। इसकारण बैमौसम बारिश से ये धान प्रभावित हो गया। प्रदेश के जबलपुर, नर्मदापुरम, रीवा, सतना, सिंगरौली, मैहर, सागर, अनूपपुर, मंडला जैसे 22 जिलों में शुक्रवार से शनिवार शाम तक हुई बेमौसम बारिश से करीब 9.52 लाख मीट्रिक टन धान भीग गई। जबलपुर में हालात यह हो गई कि मोटर पंप लगाकर पानी से स्टॉक बचाने की नौबत आ गई। यदि और बारिश हुई, तब धान का खराब होना तय माना जा रहा है। इससे मोहन सरकार को करोड़ों का नुकसान होगा। यह धान समर्थन मूल्य पर खरीदी गई थी, जिसे शेड के नीचे रखना था या खरीदी के तुरंत बाद परिवहन करना था। लेकिन अफसरों ठेकेदारों की लापरवाही के चलते ये दोनों काम नहीं हो सके। अब एक जनवरी तक खरीदी स्थगित रहेगी। उधर, खरीदी के लिए नोडल एजेंसी नागरिक आपूर्ति निगम और ठेकेदारों के बीच कहा-सुनी शुरू हो गई है। धान भीगने के मामले में एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराने की खानापूर्ति हो रही है। यह स्थिति तब है जब पिछली बार सरकारी दाम पर खरीदा गया गेहूं भी लापरवाही के चलते भीग गया था, इसके बाद में उस गेहूं को सुखाना पड़ा था। हजारों मीट्रिक टन गेहूं तब भी खराब हो गया था, खराब हुए गेहूं को तब शराब कारोबारियों को बेचा गया था। सरकार के सूत्रों ने बताया कि गुरुवार शाम तक 24.84 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी गई। खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के अधिकारियों ने सफाई दी है कि गोदामों में बनाए खरीदी केंद्रों के बाहर 1.41 लाख, समिति स्तर पर केंद्रों के बाहर 6.41 लाख और वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन व एफसीआई गोदामों के बाहर 1.70 लाख मीट्रिक टन धान रखा है। हालांकि अधिकारी इस धान के भीगने की पुष्टि नहीं कर रहे। दरअसल जब से प्रदेश में धान खरीदी शुरू हुई तब सीएम डॉ. मोहन यादव ने अधिकारियों को सचेत किया था कि खरीदी के साथ-साथ परिवहन पर भी जोर दे, लेकिन अफसरों ने ध्यान नहीं दिया। चार दिन पहले से मौसम खराब हुआ था, तब भी परिवहन की गति नहीं बढ़ाई। यहां तक कि पिछली बार रबी की गेहूं फसल केंद्रों पर खराब हुई थी उस घटना से भी सबक नहीं लिया।

 

प्रमुख जिले और हालात:
जबलपुर:
प्रदेश के जबलपुर में 1.94 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी गई, लेकिन 17 हजार मीट्रिक टन धान भीग गई।
रीवा: प्रदेश के रीवा में 50 प्रतिशत से अधिक धान भीग चुकी है। वहीं 1.13 लाख क्विंटल धान खुले में पड़ी है।
पन्ना: वहीं प्रदेश के पन्ना जिले के 41 खरीदी केंद्रों में डेढ़ लाख क्विंटल धान प्रभावित। 2 लाख क्विंटल धान खुले में पड़ा हुआ है। इसके भी बारिश होने पर भीगने की आशंका है। 
अनूपपुर: प्रदेश के अनूपपुर जिले में 2.47 लाख क्विंटल धान अब भी खुले में रखी है।
सिंगरौली: वहीं सिंगरौली में प्रशासन के आला अधिकारियों के हवाले से बताया गया हैं कि 6 लाख क्विंटल धान भीगने की खबर।

लापरवाही के कारण: सीएम के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद खरीदी के साथ-साथ परिवहन पर ध्यान नहीं दिया गया। मौसम पूर्वानुमान के बावजूद घान परिवहन की धीमी गति से उठाव किया। गोदाम और शेड्स की अपर्याप्त व्यवस्था।

फसल पर प्रभाव: इस बारे में किसानों का कहना है कि धान के भीगने से चावल की गुणवत्ता और स्वाद में फर्क पड़ता है। सुखाने के बाद भी चावल टूटने की समस्या होती है।

भविष्य की योजना: खरीदी केंद्रों पर भंडारण और परिवहन की कुशल व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि मौसम खराब होने पर भी फसलों का तत्काल भंडारण कर सके। मौसम आधारित प्रबंधन के लिए तकनीकी उपाय किए जाए, ताकि भविष्य में इसतरह से फसलों का नुकसान होने से बचा सके। 

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